‘आशीष खंडेलवाल‘ तकनीकी चिट्ठाकारी के विषयी एकालाप को तोड़ते हैं। वह अपनी प्रविष्टियों में संतुलन, एकत्व और नियमन का प्रचार करते हैं। वह चिट्ठाकारी की अज्ञानता का आवरण अपनी व्यावहारिक कल्पनाशीलता की मुखर अभिव्यक्ति से भेद डालते हैं। विज्ञान और तकनीक के मौलिक गुण यह चिट्ठा (हिन्दी ब्लॉग टिप्स) स्वाभाविकता से आत्मसात करता है, जैसे- वह व्यवहार और चिंतन को सिद्धांत रूप में बांधकर अस्त-व्यस्त चिट्ठाकारी को क्रम-विकासक और कार्यकार्निक अर्थ देता है। वस्तुतः ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ की सफलता वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन (वह भी हिन्दी में) के मर्सिया को रंगीला फाग बना देती है।
आप ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ पर क्लिक करेंगे तो आपको एक हुजूम दिखेगा- सैकड़ों चिट्ठाकारों का हुजूम जो केवल इसे पढ़कर, इससे लाभान्वित होकर विरम नहीं जाते बल्कि उत्सुक होकर, इसके स्नेह से आप्लावित हो अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराते हैं। ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ के प्रशंसक परिवार पर एक दृष्टि डालिए। सौ (हो सकता है मेरे लिखते, लिखते सौ से ज्यादा) प्रशंसकों का समूह आपका अभिवादन करेगा और आपको आमंत्रित करेगा कि आप भी इसी जमात में ख़ुद को शामिल कर लीजिये। अपनी चिट्ठाकारी की लघु-अवधि में किसी एक ब्लॉग के इतने प्रशंसक मैंने नहीं देखे (आपने देखे हों तो लिंक जरूर दें)।
यह और भी महत्वपूर्ण इसलिए है कि चिट्ठाकारों की चर्चा और उस चर्चा से उपजी कथित स्वीकार्यता/ अस्वीकार्यता को मुँह चिढाता यह ब्लॉग सौ या सौ से अधिक लोगों के साथ चुपचाप ब्लोगरी की हलचल देखता है और क्रमशः परिपूर्णता व चरितार्थता की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहता है।
तो क्यों न ‘हिन्दी ब्लॉग टिप्स‘ को चिट्ठाकारों के सर्जनात्मक प्रयत्नों का सामूहिक बोध कहा जाय ? आमंत्रण है।
कुश से कह रहा हूँ (गर पढ़े इसे): गिनतियाँ बहुत गिनते हैं आप। मेरी इस पोस्ट में ‘हिन्दी ब्लॉगटिप्स ‘ की आवृत्ति मत गिनना।
चिट्ठा चर्चा से आर पार: इस पोस्ट को शामिल किए बिना काम न चलेगा।
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