Happy New Year

बज गयी दुन्दुभि, परिवर्तन आने वाला है।

है निस्सीम अगाध अकल्पित, समय शून्य का यह विस्तार
प्रिय देखो वह चपल विहंगम चला जा रहा पंख पसार
‘काल अमर है’ का संकीर्तन यही विहग गाने वाला है।

वह देखो गिर रहे दुखों के पीत-पात झर-झर सत्वर
उर में भी गुंजरित हो रहा मधुरिम सुख का मादक स्वर
इसी हास के शैशव का अल्हड़पन अब आने वाला है।

जीवन के कितनों रंगों से निज मन को रंगता आया हूँ
पर ‘स्नेहिल’ तेरी स्मृति से दूर नहीं मैं जा पाया हूँ
तेरी मधु यादों का संचन अंतर्मन करने वाला है।

जो बीत गया है उसे नशे की रात समझ लो स्नेहिल साथी
जो आयेगा उसे हृदय की बात समझ लो स्नेहिल साथी
आगत क्षण में हर प्रेमी ही प्रीति सुरा पीने वाला है।

आशा है हम विहंसेंगे ही प्रेम हास से बिंध जायेंगे
माधुर्य-समर्पण-प्रीत त्रिवेणी निज मानस में लहराओगे
नया वर्ष मंगलमय होकर सब पर सज जाने वाला है।
परिवर्तन आने वाला है।

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Poetry, Ramyantar, Songs and Ghazals,

Last Update: June 19, 2021

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