अब न अरमान हैं न सपने हैं
“ऐसी मँहगाई है कि चेहरा ही बेंच कर अपना खा गया कोई। अब न अरमान हैं न सपने हैं सब…
“ऐसी मँहगाई है कि चेहरा ही बेंच कर अपना खा गया कोई। अब न अरमान हैं न सपने हैं सब…
आपके हँसने में छन्द है सुर है राग है, आपका हँसना एक गीत है। आपके हँसने में प्रवाह है विस्तार…
Screenshot of Vivek Singh’s Blog ‘निंदक नियरे राखिये’ की लुकाठी लेकर कबीर ने आत्म परिष्कार की राह के अनगिनत गड़बड़…
दूसरों के अनुभव जान लेना भी व्यक्ति के लिये अनुभव है। कल एक अनुभवी आप्त पुरुष से चर्चा चली। सामने…
जरा और मृत्यु के भय से यौवन के फ़ूल कब खिलने का समय टाल बैठे हैं? जीवित जल जाने के…
Source: http://antoniogfernandez.com मेरा प्रेम कुछ बोलना चाहता है । कुछ शब्द भी उठे थे, जिनसे अपने प्रेम की सारी बातें…