सड़क उसके बीच से गुजरती है
गुजरते हैं सड़क पर चलने वाले लोग
पर थोड़ा ठहर जाते हैं,
दम साध कर खड़ा है वह
कुछ तो आकर्षण है उसमें कि
सड़क से गुजरने वाला हर आदमी
ठहर कर निरख ही लेता है उसे।

उसने सजा रखे हैं न जाने कितने
लाल,पीले,गुलाबी और उजले
रंगों से रंगे घर,
घरों के बाहर लगे हैं फ़ूल
और उन फूलों को घेरती हुई दीवार,
और फिर एक दरवाजा है वहां-
दीवारों के बीच,
न तो वह पिछड़ा है
और न ही अत्याधुनिक
उसके घरों में गूंजते हैं दूरदर्शन
व केबिल के कार्यक्रम,
पर रामलीला भी खेली जाती है
उसके मंचों पर और
उसके खेतों में लगे शामियानों में होती है नाच भी,
बड़ी मोहक है उसकी छवि।

अभी कल ही तो देखा था उसे..
हम जब बढ़े थे उसकी ओर, तो वह
धीर और शान्त स्वागत कर रहा था
उसके स्नेह से बंध गये थे हम,
वह हमारे स्वागत में
अपने पूरे लाव-लश्कर – उसके वृक्ष, कतारों में सजे घर,
स्वच्छ तालाब, प्राथमिक पाठशाला, आम के बगीचे, उसके निवासी –
के साथ उपस्थित था।

जब हम उसे छोड़कर लौटने लगे
कुछ वक्त बाद
हमने महसूस किया उसकी जीवंतता को,
उसके हांथ हिल रहे थे – वृक्षों के कम्पन में
मुस्कराया था वह – हमारे लिये – सुहानी धूप में
और
चल दिये थे हम उस गांव से
अपनी बाज़ार के लिये
उस गांव से गुजरती सड़क पर।

Categorized in:

Poetry, Ramyantar,

Last Update: June 19, 2021

Tagged in:

,