के० शिवराम कारंत : मूकज्जी का मुखर सर्जक
के० शिवराम कारंत Kota Shivaram Karanth – भारतीय भाषा साहित्य का एक उल्लेखनीय नाम, कन्नड़ साहित्य की समर्थ साहित्यिक विभूति,…
के० शिवराम कारंत Kota Shivaram Karanth – भारतीय भाषा साहित्य का एक उल्लेखनीय नाम, कन्नड़ साहित्य की समर्थ साहित्यिक विभूति,…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण…
उन दिनों जब दीवालों के आर-पार देख सकता था मैं अपनी सपनीली आँखों से, जब पौधों की काँपती अँगुलियाँ मेरी…
एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त हो गये। तब…
पूर्व और पश्चिम की संधि पर खड़े युगपुरुष ! तुम सदैव भविष्योन्मुख हो, मनुष्यत्व की सार्थकता के प्रतीक पुरुष हो,…
कौतूहल एक धुआँ है उपजता है तुम्हारी दृष्टि से, मैं उसमें अपनी आँखे मुचमुचाता प्रति क्षण प्रवृत्त होता हूँ आगत-अनागत…