अकेलापन
अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं।…
अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं।…
“यदि आप एक ही विषय पर काम करते रहें तो अवश्य ही उसके चरम तक जा पहुँचेंगे । इसकी चिंता…
हमेशा बाहर की खिड़की से एक हवा आती है- भोर की हवा, और चुपचाप कोई न कोई संदेश सुना जाती…
अपनी कस्बाई संस्कृति में हर शाम बिजली न आने तक छत पर लेटता हूँ। अपने इस लघु जीवन की एकरस-चर्या…
मन का चैन है जिसके लिये खूब तैयारी करता हूँ। कुछ पाने, न पाने की बेचैनी, जीवन की शान्ति और…
एक महात्मा हैं, उनके पास जाता रहता हूँ। महात्मा से मेरा मतलब उस गैरिकवस्त्र-धारी महात्मा से नहीं, जिनके भ्रम में…