Monthly Archives

February 2009

Contemplation, चिंतन

सामान्य ज्ञान व जीवन

ज्ञान जीवन के लिये हो

मेरे एक मित्र सामान्य ज्ञान के धुरंधर पंडित हैं। वे विविध प्रकार की सूचनायें एकत्र करने के लिये पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं आदि को पढ़ते रहते हैं। वे रेडियो तथा टी0वी0 आदि द्वारा अपनी जानकारी का भण्डार समृद्ध करने में लगे रहते…

Ramyantar

राम जी ने कहा…(एक SMS)

आज मोबाइल पर एक संदेश (Message) आया- एक आदमी मंदिर गया रोने लगा- “हे राम’ मेरी बीवी खो गयी है।” राम जी बोले, “बाजू वाले हनुमान मंदिर में जा के बोल, क्योंकि मेरी भी उसी ने ढूंढी थी”…. सोचने लगा,…

Poetry, Ramyantar

एक गाँव

सड़क उसके बीच से गुजरती है गुजरते हैं सड़क पर चलने वाले लोग पर थोड़ा ठहर जाते हैं, दम साध कर खड़ा है वह कुछ तो आकर्षण है उसमें कि सड़क से गुजरने वाला हर आदमी ठहर कर निरख ही…

Article on Authors

गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक : Gayatri Chakravorty Spivak

गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक (Gayatri Chakravorty Spivak) को उत्तर-उपनिवेशवादी सिद्धान्त के क्षेत्र में उनके स्थायी योगदान के लिये जाना जाता है। उनकी आलोचनात्मक कृतियों में अनेकों लेख, पुस्तकें, साक्षात्कार और अनुवाद सम्मिलित हैं, जिनका क्षेत्र उत्तर-संरचनावादी विचार और साहित्यिक आलोचनाओ से…

Poetry, Ramyantar

वहाँ भी डाकिया होगा?

enveloppen (Photo credit: Wikipedia) क्यों ऐसा होता था कि डाकिया रोज आता था पर तुम्हारा लिखा हुआ पत्र नहीं लाता था। क्यों ऐसा होता था कई बार कि जब भी मैंने डाकिये से माँगा तुम्हारा पत्र उसने थमा दिये मनीआर्डर…

Contemplation, चिंतन

चौथी शरण की खोज

चौथी शरण क्या है? बच्चन का एक प्रश्न-चिह्न मस्तिष्क में कौंध रहा है, उत्तर की खोज है- “भूत केवल जल्पना हैऔ’ भविष्यत कल्पना हैवर्तमान लकीर भ्रम कीऔर क्या चौथी शरण भी ?स्वप्न भी छल जागरण भी।” उत्तर की तलाश में…

Article | आलेख, Article on Authors, आलेख

प्रगीत और निराला की कविता शिवाजी का पत्र

छायावादी कवियों की नवीन चेतना के प्रसार के परिणामस्वरूप छायावादी रूढ़ि विद्रोही नवीन युग बोध ने इन्हें समस्त रूढ़ि बन्धनों का तिरस्कार कर अपने भावों के संप्रेषण के लिये तथा विचारों के अनुकूल भिन्न-भिन्न प्रकार की नयी काव्य-विधाओं की रचना…

General Articles

मुझसे ये सौदा हो नहीं सकता

हम घोर आश्चर्य और निराशा के घटाटोप में घिर गये हैं। अपने पूर्वजों पर दृष्टि डालते हैं तो देखते हैं कि बहुत से लोग आर्थिक दृष्टिकोण से पिछड़े वर्ग के सदस्य न थे। किंतु उन्होने अपनी दौलत को बजाय किसी…

Capsule Poetry, Poetry, Ramyantar

और ……अंधेरा

(Photo credit: MarianOne) आज फिर एक चहकता हुआ दिन गुमसुमायी सांझ में परिवर्तित हो गया, दिन का शोर खामोशी में धुल गया, रात दस्तक देने लगी। हर रोज शायद यही होता है फिर खास क्या है? शायद यही, कि मेरे…