मेरे एक मित्र यूँ तो चिट्ठाकारी नहीं करते, पर चिट्ठा-चर्चा और अन्य चिट्ठे पढ़ते जरूर हैं। यद्यपि…
माँ केन्द्रित दूसरी कविता पोस्ट कर रहा हूँ। इस कविता का शीर्षक और इसके कवि का नाम…
कुछ दिनों पहले चिट्ठा चर्चा में कविता जी ने ’माँ’ पर लिखी कविताओं की भावपूर्ण चर्चा की…
सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये सब जीत ही तुम्हारी कहीं हार हो न…
आज कुछ और नहीं, मेरे मित्र का मेरी ऑर्कुट स्क्रैपबुक में लिखा स्क्रैप पोस्ट कर रहा हूँ…
अपनी कस्बाई संस्कृति में हर शाम बिजली न आने तक छत पर लेटता हूँ। अपने इस लघु…