डिग (Digg) पर सफर करते हुए उसके आर्ट्स एंड कल्चर (Art & Culture) वर्ग से इस रोचक…
हँसते हुए यह कभी नहीं सोचा था, कि यह हँसी कितनी पुरानी है और किसका अनुकरण कर…
साहित्य के अन्तर्गत कवि-समय का अध्ययन करते हुए अन्यान्य कवि समयों के साथ वृक्ष दोहद का जिक्र…
समय की राह सेहटा-बढ़ा कई बारविरम गयी राह ही,मन भी दिग्भ्रांत-साअटक गया इधर-उधर । भ्रांति दूर करने…
“जीवन के रोयें रोयें कोमिलन के राग से कम्पित होने दो,विरह के अतिशय ज्वार कोठहरा दो कहीं…
अपनी पिछली प्रविष्टि (हे सूर्य : कविता – कामाक्षीप्रसाद चट्टोपाध्याय) पर अरविन्द जी की टिप्पणी पढ़कर वैसे…