एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त हो गये। तब सभी ने मिलकर वर्षा के लिये ईश्वर से प्रार्थना करने का निश्चय किया! एक निश्चित स्थान पर सभी एकत्र हुए। इतने में एक बालक छतरी लिये आया और वह भी सबके साथ प्रार्थना करने लगा। सभी लोगों के साथ उसे भी प्रार्थना पर विश्वास था। लोगों ने पूछा,

“यह छतरी क्यों लाये?”

तो उसने उत्तर दिया,

“जब आप सभी लोग ईश्वर के पास वर्षा के लिये प्रार्थना करने आये हैं तो मैं भी उसी आशा में चला आया- सामान्य लोग भी किसी वस्तु के माँगने पर हमें निराश नहीं करते तो फिर ईश्वर के यहाँ क्या कमी है? वर्षा आयेगी इसलिये उससे बचने के लिये छ्तरी ले आया।”

कई लोग तो इस पर उसका मजाक उड़ाने लगे। बालक को अपनी प्रार्थना पर विश्वास था, वह अपनी अटूट आस्था के साथ प्रार्थना-रत रहा। लोगों के लिए यह सब हास्यास्पद था, परन्तु बालक की श्रद्धा से प्रसन्न होकर प्रभु ने वर्षा भेजी। सब भींगने लगे, परन्तु बालक छतरी के नीचे सकुशल घर लौट आया।

(यह कहानी ‘भारती’ से साभार)