कमल - सहज अभिव्यक्तमैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ
घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें ।

मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की
कहो पाषाण से हमको सजा लें ।

मैं झिझक हूँ, हास हूँ, मनुहार हूँ
प्रणय के राग में इनका मजा लें ।

आइने में शक़्ल जो अपनी दिखी है
उसी को वस्तुतः अपना बना लें ।

मिलन पहला, गले मिलना जरूरी है ?
जरा ठहरो ! तनिक हम भी लजा लें ।

Last Update: June 19, 2021

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