पिछली प्रविष्टियों करुणावतार बुद्ध- एक, दो, तीन के बाद चौथी कड़ी- तृतीय दृश्य (यशोधरा का शयनकक्ष। रात्रि…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ पराजितों…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ से…
पिछली प्रविष्टि से आगे …. ना ! क़तई नहीं । आदमी कभी जुदा-जुदा नहीं होते । आदमी…
अपने नाटक ’करुणावतार बुद्ध’ की अगली कड़ी जानबूझ कर प्रस्तुत नहीं कर रहा । कारण, ब्लॉग-जगत का…
करुणावतार बुद्ध सारथी: भूपाल! नगरी तो ऐसी सजी-सँवरी थी, जैसे अमरावती ही वहाँ उतर आयी हो। सुन्दरियाँ…