जहाँ रुका है मन आँखें भी रुक रह जातीं

By Himanshu Pandey

आँखें अपरिसीम हैं, संसृति का आधार है बिना दृष्टि का सृष्टि निवासी निराधार। ऑंखें बोती हैं देह-भूमि पर प्रेम-बीज इन…

मेरा अकेलापन और रचना का सत्य-सूत्र

By Himanshu Pandey

मैं लिखने बैठता हूँ, यही सोचकर की मैं एक परम्परा का वाहक होकर लिख रहा हूँ। वह परम्परा कृत्रिमता से…

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