छायावादी कवियों की नवीन चेतना के प्रसार के परिणामस्वरूप छायावादी रूढ़ि विद्रोही नवीन युग बोध ने इन्हें…
हम घोर आश्चर्य और निराशा के घटाटोप में घिर गये हैं। अपने पूर्वजों पर दृष्टि डालते हैं…
(Photo credit: MarianOne) आज फिर एक चहकता हुआ दिन गुमसुमायी सांझ में परिवर्तित हो गया, दिन का…
दिन गये, तो ठीक न गये, रुके रहे तो और भी ठीक। रात गयी, तो ठीक न…
विश्वास के घर में अमरुद का एक पेंड़ था एक दिन उस पेंड़ की ऊँची फ़ुनगी पर…
(Photo credit: Wikipedia) हमारे आर्य-साहित्य का जो ‘प्रथम पुरुष’ है, अंग्रेजी का ‘थर्ड पर्सन’ (Third Person), मैं…