यह ब्लॉग वर्ष 2008 से निरंतर गतिमान् है-कभी चटक, कभी मद्धिम।
विविध विषयों पर लिखा जाता रहा है इस ब्लॉग पर। साहित्य की विधाओं की खूब आँखमिचौनी है यहाँ। कविता तो इस ब्लॉग का प्राण है, पर आलेखों, निबन्धों व नाटकों ने इस ब्लॉग को जीवंत बनाया है। जीवन, संस्कृति, प्रेम, करुणा, सहभाग, सृष्टि, पर्यावरण, स्त्री और सौन्दर्य की अभिव्यक्ति है यहाँ- इसलिये ही तो यह रम्यांतर है।
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ऋग्वेद में वर्णन आया है : ‘शिक्षा पथस्य गातुवित’, मार्ग जानने वाले , मार्ग ढूढ़ने वाले और मार्ग दिखाने वाले, ऐसे तीन प्रकार के लोग होते हैं। साहित्यिकों की गणना इस त्रिविध वर्ग में होती है। सबसे अधिक योग्यता मैं...
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