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नवागत प्रविष्टियाँ

ब्रश करती तुम्हारी अंगुलियाँ (कविता)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

कितना सुंदर हैब्रश करती तुम्हारी अंगुलियों का कांपनाकभी सीधे,कभी ऊपर-नीचेकभी धीमी कभी तेज गति सेजैसे थिरकता है मुसाफिरकिसी पहाड़ी राह…

डायोजिनीज़ (Diogenes) का एक प्रेरक प्रसंग

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

डायोजिनीज़ (Diogenes) के जीवन से जुड़ा यह प्रेरक प्रसंग शान्तचित्त रहने के अभ्यास को रेखांकित करता है। मनुष्य का स्वभाव…

तुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

जग चाहे किसी महल में अपने वैभव पर इतराएया फिर कोई स्वयं सिद्ध बन अपनी अपनी गाएमौन खड़ी सुषमा निर्झर…

भारती तेरी जय हो (सरस्वती वंदना)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

तेरी सुरभि वहन कर लायी शीतल मलय बयार,भारती तेरी जय हो!तेरी स्मृति झंकृत कर जाती उर वीणा के तारभारती तेरी…

रख दूंगा तुम्हारे सम्मुख आकाश, धरती, सूरज और प्रवाह (Video)

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

इसी  ब्लॉग पर पहले से प्रकाशित रचनाओं के वीडियो बनाने प्रारम्भ किए हैं मैंने। शुरुआत में कुछ कवितायें ही अपलोड…