आशीष त्रिपाठी का काव्य संग्रह शान्ति पर्व
शान्ति पर्व पढ़ गया। किसी पुस्तक को पढ़ कर चुपचाप मन…
गुरु गोरखनाथ की बानी – मेरा गुरु तीन छंद गावै
महान संत, योगी एवं नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरखनाथ की…
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या निरंकुशता
अभिव्यक्ति, मनुष्य का नैसर्गिक गुण, जिससे हमारे विचार, हमारी भावनायें और…
नवागत प्रविष्टियाँ
ब्रश करती तुम्हारी अंगुलियाँ (कविता)
कितना सुंदर हैब्रश करती तुम्हारी अंगुलियों का कांपनाकभी सीधे,कभी ऊपर-नीचेकभी धीमी कभी तेज गति सेजैसे थिरकता है मुसाफिरकिसी पहाड़ी राह…
प्रेम प्रलाप
मेरे प्रिय! हर घड़ी अकेला होना शायद बेहतर विकल्प है तुम्हारी दृष्टि में। मैं वह विकल्प नहीं बन सका जो …
डायोजिनीज़ (Diogenes) का एक प्रेरक प्रसंग
डायोजिनीज़ (Diogenes) के जीवन से जुड़ा यह प्रेरक प्रसंग शान्तचित्त रहने के अभ्यास को रेखांकित करता है। मनुष्य का स्वभाव…
तुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन
जग चाहे किसी महल में अपने वैभव पर इतराएया फिर कोई स्वयं सिद्ध बन अपनी अपनी गाएमौन खड़ी सुषमा निर्झर…
भारती तेरी जय हो (सरस्वती वंदना)
तेरी सुरभि वहन कर लायी शीतल मलय बयार,भारती तेरी जय हो!तेरी स्मृति झंकृत कर जाती उर वीणा के तारभारती तेरी…
रख दूंगा तुम्हारे सम्मुख आकाश, धरती, सूरज और प्रवाह (Video)
इसी ब्लॉग पर पहले से प्रकाशित रचनाओं के वीडियो बनाने प्रारम्भ किए हैं मैंने। शुरुआत में कुछ कवितायें ही अपलोड…