“पहले आती थी हाले दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती ।”
- यह ब्लॉग
- मैं
- लिखावट
- भोजपुरी
- नाटक
करुणावतार बुद्ध
यहाँ पढ़ेंसिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने तक की घटना को आधार बनाकर रचित इन नाट्य प्रविष्टियों में विशिष्ट प्रभाव एवं अद्भुत आस्वाद है।
राजा हरिश्चन्द्र
यहाँ पढ़ेंसिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
सावित्री
यहाँ पढ़ेंसिमटती हुई श्रद्धा एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी।
- रूपांतर
सौन्दर्य लहरी
यहाँ पढ़ेंसौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। इस ब्लॉग पर हिन्दी काव्यानुवाद सम्पूर्णतः प्रस्तुत है।
गीतांजलि : टैगोर
यहाँ पढ़ेंगुरुदेव टैगोर की विशिष्ट कृति गीतांजलि के गीतों का हिन्दी काव्य-भावानुवाद इस ब्लॉग पर प्रकाशित है। यह अनुवाद मूल रचना-सा आस्वाद देते हैं।
आलेख रूपांतर
यहाँ पढ़ेंविभिन्न भाषाओं से हिन्दी में अनूदित रचनाओं को संकलित करने के साथ ही विशिष्ट संस्कृत एवं अंग्रेजी रचनाओं के हिन्दी अनुवाद भी प्रमुखतः प्रकाशित हैं।
- सम्पर्क
परिस्थिति गंभीर होगी तो इसका बोझ हमारा हास्य-शील कैसे सह सकेगा? …सही है।
बुलबुले की तरह सतह पर तैरने वाले मत बनो । गंभीर हवा का एक झोंका आया, बुलबुले किनारे हुए।
–वाकई गंभीर चिन्तन है. विचारणीय!!
हां परिदृश्य सचमुच ऐसा ही है कि -“पहले आती थी हाले दिल पे हंसी,अब हर हँसी पे दिल मुंह को आता है ।”
गहन चिंतन !
बहुत सुंदर लिखा आप ने आज के हालात पर यह चिंतन, ओर सच मे ऎसा ही तो हो रहा है…
धन्यवाद
जीवन को चलाते जाना जी जीवन है ..गहरे भाव लिखे हैं
“पहले आती थी हाले दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती ।”
जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना उडलई उडलई ऊ
पहले हमें पाकिस्तान की करनी पर हंसी आती थी, अब नहीं आती। अब हमें भारत के धैर्य पर हंसी आती है, कुछ दिनों बाद नहीं आयेगी। सब मात्रा का प्रतिबन्ध है।
Bahut khub likha hai.
bat to thik hai. kya kare neta hai unhe isase kya matalab ki kaun hasata hai .unhe to kewal laddu se matalab hai.
bat kisi na kisi tarah se kah hi lete hai chahe direct ho ya indirect laddu mil hi jata hai. chandan.
bahut sundar likha hai…