राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (आठ)

पिछली प्रविष्टियों राजा हरिश्चन्द्र- एक, दो, तीन, चार, पाँच, छः और सात से आगे- छठाँ दृश्य (श्मसान का भयानक वातावरण।…

हम तोंहसे कुल बतिया कहली: भोजपुरी कविता

हम तोंहसे कुल बतिया कहली सौ बार इहै मंठा महलीकुल गुर गोंइठा भइले पर तूँ दाँतै निपोर के का करबा? …

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (सात)

इस ब्लॉग पर करुणावतार बुद्ध नामक नाट्य-प्रविष्टियाँ मेरे प्रिय और प्रेरक चरित्रों के जीवन-कर्म आदि को आधार बनाकर लघु-नाटिकाएँ प्रस्तुत…

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (छः)

नाट्य-प्रस्तुतियों के क्रम में अब प्रस्तुत है अनुकरणीय चरित्र राजा हरिश्चन्द्र पर लिखी प्रविष्टियाँ। सिमटती हुई श्रद्धा, पद-मर्दित विश्वास एवं…

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