शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (तेरह)
भाव कै भूख न भीख कै भाषा सनेह क जानी न मीन न मेखा कवनें घरी रचलै बरम्हा मोके हाँथे…
भाव कै भूख न भीख कै भाषा सनेह क जानी न मीन न मेखा कवनें घरी रचलै बरम्हा मोके हाँथे…
करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद…
शैलबाला शतक स्तुति नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित है।…
शैलबाला शतक शैलबाला शतक नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित…
शैलबाला शतक: स्तुति काव्य नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित…
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य: 37-48 पूत भयों अस लोलक लइया सबै पुरुखा की बड़ाई बहाई माई की ड्यौढ़ी पै…