माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..
एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना…
एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना…
केवट प्रसंग रामायण के अत्यन्त सुन्दर प्रसंगों में से एक है, खूब लुभाता है मुझे। करुण प्रसंगों के अतिरेक में…
अम्मा सोहर की पंक्तियाँ गुनगुना रही हैं – “छापक पेड़ छिउलिया कि पतवन गहवर हो…”। मन टहल रहा है अम्मा…
छठ पूजा के सन्दर्भ में यह समझना होगा कि हमारी परम्परा में विभिन्न ईश्वरीय रूपों की उपासना के लिए अलग-अलग…
प्रेम की अबूझ माधुरी निरन्तर प्रत्येक के अन्तस में बजती रहती है। अनेकों को विस्मित करती है, मुग्ध करती है…
विश्व पर्यावरण दिवस पर अचानक ही एक श्लोक याद आ गया। श्लोक वृक्षों की जीवंत उपस्थिति और उनके शाश्वत मूल्य…