ग़ज़ल – चाँदनी या मुख़्तसर सी धूप लाना, भूलना मत

By Himanshu Pandey

नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत। देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़ खोकर ज़िन्दगी…

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