ब्रश करती तुम्हारी अंगुलियाँ (कविता)

By Himanshu Pandey

कितना सुंदर हैब्रश करती तुम्हारी अंगुलियों का कांपनाकभी सीधे,कभी ऊपर-नीचेकभी धीमी कभी तेज गति सेजैसे थिरकता है मुसाफिरकिसी पहाड़ी राह…

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By Himanshu Pandey

Archive पृष्ठ के द्वारा इस ब्लॉग पर प्रकाशित विभिन्न श्रेणियों (Category) के अन्तर्गत वर्गीकृत प्रविष्टियाँ (Category-wise-posts) व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध…

डायोजिनीज़ (Diogenes) का एक प्रेरक प्रसंग

By Himanshu Pandey

डायोजिनीज़ (Diogenes) के जीवन से जुड़ा यह प्रेरक प्रसंग शान्तचित्त रहने के अभ्यास को रेखांकित करता है। मनुष्य का स्वभाव…

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