गोबर गणेशों की गोबर-गणेशता
पहले आती थी हाले दिल पे हंसीअब किसी बात पर नहीं आती। कैसे आए? मात्रा का प्रतिबन्ध है। दिल के…
पहले आती थी हाले दिल पे हंसीअब किसी बात पर नहीं आती। कैसे आए? मात्रा का प्रतिबन्ध है। दिल के…
आज का मनुष्य यह भली भाँति समझता है कि उसकी सफलता के मूल में वह सद्धर्म (चाटुकारिता) है, जिसे निभाकर…
कल के अखबार पढ़े, आज के भी। पंक्तियाँ जो मन में कौंधती रहीं- “अब जंग टालने की कवायद शुरू”। “सीमा…
हिन्दी ब्लॉग लेखन को साहित्य की स्वीकृत सीमाओं में बांधने की अनेक चेष्टाएँ हो रही हैं। अबूझे-से प्रश्न हैं, अबूझे-से…
न समझने की ये बातें हैं, न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। पढ़ कर कई बार सोचता…
आजकल मुझे हंसी बहुत आती है, सो आज मैं फ़िर हँसा। अब ‘ज्ञान जी‘ की प्रविष्टियों का स्मित हास, ‘ताऊ‘…