मुझमें जो आनंद विरल है
वह तुमसे ही निःसृत था और तुम्हीं में जाकर खोया ।
घूमा करता हूँ हर पल, जीवन में प्रेम लिए निश्छल
कुछ रीता है, कुछ बीता है, झूठा है यह संसार सकल
यह चिंतन जो बहुत विकल है
वह तुझसे ही उलझा था और तुम्हीं से जाकर रोया ।
सच कहता हूँ वृक्ष बनेंगे मेरे अतल प्रेम के बीज
सच कहता हूँ आयेंगे इस छाया में हर प्रेमी रीझ
मेरा यह जो बीज सबल है
वह तुमसे ही पाया था और तुम्हीं में जाकर बोया ।
जो आंसू थे, हास बनेंगे और मगन हम नाचेंगे
और ढालेंगे सभी स्वप्न सच्चाई के सुधि सांचे में
जो मेरा यह विश्वास प्रबल है
वह तुझसे ही उपजा था औ’ तुझमें ही जाकर संजोया।
Photo: Facebook Wall of Pawan Kumar
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