प्रश्न स्वयं का उत्तर अपना
औरों से पूछा,
अपने मधु का स्वाद
लुटेरे भौरों से पूछा।
जाना जहाँ जहाँ से आया
याद नहीं वह घर,
माटी का ही रहा घरौंदा
रचता जीवन भर-
भोज-रसास्वादन कूकर के
कौरों से पूछा।
मूर्च्छा ही है पाप, जान भी
मूंदे रहा नयन,
जड़ सूखी रह गयी
पत्र पर छिड़क रहा जलकण –
जग में सही ग़लत का ब्यौरा
बौरों से पूछा।
झिलमिल प्राणों में न बांसुरी
बजी न हुई पुलक,
क्या जीना जीवन में उसकी
मिलीं न कभी झलक –
होश कहाँ है, बेहोशी के
दौरों से पूछा।
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