महाराष्ट्र के शनिदेव (राज ठाकरे-Raj Thackeray की बात कर रहा हूँ) हमारे असली शनिदेव से ज्यादा खतरनाक हो गए लगते हैं। बिहारियों, उत्तर भारतीयों पर दृष्टि पड़ी कि वे संकट में पड़े। मामला बहुत कुछ क्षेत्रवाद आदि का नहीं, स्वभाव का है।
शनिदेव ने मुझे बहुत सताया है, मैं बहुत डरता हूँ शनिदेव से क्योंकि मैं उनकी मंशा नहीं समझ पाता। बैठे ठाले परेशान करने की आदत है उनकी- बिल्कुल राज ठाकरे-Raj Thackeray की तरह। ये दोनों शनिदेव अपनी सामर्थ्य की स्वीकृति कराने का उद्यम रचते रहते हैं। अब क्या कहें कि अपने तैंतीस करोड़ देवताओं में शनि देव की सोच बिल्कुल एक तानाशाह सनकी देवता की तरह है जो अपनी संप्रभु सत्ता का लोभी है। कुछ अलग नहीं हैं हमारे आधुनिक शनिदेव- आचरण में। हाँ आवरण में हमारे शनि ‘राज’ शनिदेव से बीस ठहरते हैं।
मैं महाराष्ट्र से, मुंबई से डरने लगा था। कारण शनि देव (राज ठाकरे) ही थे।
आज ‘हिन्दुस्तान’ अखबार में एक ख़बर पढ़ी। महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले में एक गाँव है- शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur)। इस गाँव में घर में दरवाजे नहीं, दफ्तरों दुकानों में दरवाजे, खिड़कियाँ नहीं; जहाँ दरवाजे हैं वहां ताला नहीं। विचित्र लगता है सुनकर। यहाँ पिछले चार सौ सालों में एक भी चोरी की घटना नहीं हुई। यहाँ झूठ बोलना पाप है। यहाँ कोई किसी का शत्रु नहीं, किसी को किसी बात का भय नहीं। इसका प्रमाण गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में इसका ‘विश्व का सबसे न्यारा गाँव’ के रूप में दर्ज होना है। इस गाँव पर शनिदेव की कृपा है। यहाँ शनिदेव किसी को चोरी नहीं करने देते, किसी को झूठ नहीं बोलने देते। सच में विश्वास नहीं होता।
मैं महाराष्ट्र से, शनि शिंगणापुर से प्रेम करने लगा हूँ । कारण शनि देव ही हैं।