सारिका पत्रिका के 15 अक्टूबर के अंक में प्रकाशित एक अफ्रीकी मिथक कथा ने आकृष्ट किया। आत्मा की अमरता के रहस्य को बताती यह अफ्रीकी लोक कथा मूल पाठ के साथ प्रस्तुत है।
मृत्यु और आत्मा
मृत्यु और आत्मा में दुश्मनी थी। मृत्यु ने कहा, “मैं… तुम्हें मार डालूंगी”। आत्मा ने उत्तर दिया, “मुझे… मारा नहीं जा सकता।” आत्मा की अमरता निश्चित है।
जब भी मृत्यु ने आत्मा को हराना चाहा, वह असफल हुई। एक दिन मृत्यु ने आत्मा को हराने के दृढ़ निश्चय के साथ एक योजना बनाई। मृत्यु ने आत्मा को एक भोज के लिए निमंत्रित किया जहाँ वे सदैव शान्ति से हमेशा के लिए रहने की कसम खा सकें।
आत्मा और उसके साथी मौत के गांव गये। आत्मा को मृत्यु की मंशा पर कुछ संदेह था, अतः आत्मा ने पहले चमगादड़ को टोह लेने के लिये मृत्यु के देश भेजा। मौत की कुटिया की छत के एक कोने में चमगादड़ लटक गया। किसी ने उसे देखा नहीं। मृत्यु अपने सिपाहियों से कह रही थी,
“अंततः अब मैं आत्मा को मार पाऊँगी। मैंने उसे एक अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, उसे मैं शान्ति से अपने घर में सोने दूंगी और दूर कहीं छुप कर उसे निश्चिंत कर दूँगी। फिर आत्मा के सो जाने पर मैं आकाश में बादल लाउंगी, गाज, तुम मेरे घर पर, जिसमें आत्मा ठहरी हुई होगी, कूद पड़ना और उसका सर्वनाश कर देना।”
मौत के सिपाही मान गये और तितर-बितर हो गये। आत्मा का दूत चमगादड़ भी उड़कर आत्मा के पास पहुँचा और सारी बात बतायी।
गांव में पहुंचने पर आत्मा का खूब स्वागत किया गया। मृत्यु ने अपना घर खाली कर दिया ताकि अतिथि को हर प्रकार का आराम मिल सके। चमगादड़ आकाश पर नजरें गडा़ये हुए था। उसने बादल को अचानक आते हुए देख चिल्लाकर कहा, “इसी समय चले जाओ! भागो।अपने घर भाग चलो।”
आत्मा अपने सैनिकों के साथ एकदम भाग निकली। वे अभी अधिक दूर नहीं गये थे कि मृत्यु के घर पर गाज गिरी और घर पूरी तरह बरबाद हो गया।
मृत्यु ने उल्लासित होकर कहा, “मैंने आत्मा को मार डाला।” उसने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया और ढोल पिटवाये। “वह कहती थी उसको मारा नहीं जा सकता।”
उसी समय आत्मा के गांव से विजय के नगाड़े बजने का स्वर सुनायी दिया। मौत ने अपनी फौज के साथ एकदम कूच किया और आत्मा ने सुअरों और चींटीखोरों के रास्ते में गढ़े और खंदकें खोदने का आदेश दिया। मृत्यु अपने सैनिकों सहित गड्ढों में गिर पड़ी और आक्रमण न कर सकी। आत्मा की अमरता तब से निश्चित है।
Death and Soul
Long ago Death and Soul were enemies. Death used to brag that he could kill Soul; Soul always answered: “I will not be killed.”
Every time Death tried to defeat Soul, his plans and he failed. One day Death decided he had a foolproof plan for getting Soul. First, he sent Soul an invitation to come to a feast where they would swear to live at peace forever.
Now Soul was somewhat suspicious of Death’s real intentions so he asked his friend Bat to go to Death’s town. Bat went and hung upside down under the eaves of Death’s roof, where no one noticed him. Soon he heard Death say to his soldiers’,
“Finally I am going to kill Soul I have invited him here as my guest. I shall let him sleep in my house and I shall move into a Smaller place so he sees that I want the very best for his comfort. When he is asleep, you, Lightning, will go up to a cloud and as it passes over the house, you will jump from it on to the place and destroy him.” Death’s soldiers thought this a very good plan. Bat flew home to tell Soul.
Soul arrived at Death’s town and was received with great ceremony. Death vacated his house for his honoured guest and everyone, but Bat, settled down for a good night’s sleep. When Bat saw the cloud approaching he quickly awakened Soul and they rushed away from the town back to their home. The house was destroyed totally.
Death was ecstatic and ordered a large celebration, especially to honor Lightning, because he had finally killed Soul.
Just as they were about to begin, they heard the noises from afar of the celebration Soul had begun because he was saved. Death was so angry and humiliated, he vowed never to have an encounter with Soul again. Since then the Soul has been immortal.
मूल पाठ: हिन्दी- सारिका पत्रिका (मिथक कथा अंक); अंग्रेजी- ERIC वेब पोर्टल।