Rose Bud (Photo credit: soul-nectar) |
यदि देख सका
किसी वस्तु को उसकी पूर्णता में
तो रचूंगा जो कुछ
वह पूर्णतः अनावरित करेगा
स्वयं को
सौन्दर्य है क्या
सिवाय एक केन्द्रीभूत सत्य के?
जैसे सूरज या फिर
जैसे आत्मा
जो अपनी अभिव्यक्ति,
अपने प्रसार में पूर्ण नहीं
क्योंकि किरणें
सूर्य की होकर भी
सूर्य नहीं हैं,
क्योंकि अन्तश्चेतन
आत्म का होकर भी
आत्मा नही है
तो, यदि देख न सका
किसी वस्तु को उसकी पूर्णता में
तो उसका अंशभूत सौन्दर्य
निरखूंगा, क्योंकि
यह अंश भी
पूर्णता की प्रकृति को
धारण करेगा।
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