आज तुम
मेरे सम्मुख हो,
मैं तुम्हारे ‘आज’ को
‘कल’ की रोशनी में देखना चाहता हूँ।
देखता हूँ
तुम्हारे ‘आज का कल’
‘कल के आज’ से
तनिक भी संगति नहीं बैठाता।
कल-आज
आजकल
समझ में नहीं आते मुझे।
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