at last into his hands. That is why
it is so late and why I have been
guilty of such omissions.
They come with their laws and their
codes to bind me fast;but I evade
them ever, for I am only waiting
for love to give myself up at last
into his hands.
People blame me and call me heedless,
I doubt not they are right in their blame.
The market day is over and work is
all done for the busy. Those who
came to call me invain have gone
back in anger. I am only waiting
for Love to give myself up at last
into his hands. (Geetanjali- R.N.Tagore)
पथ जोह रहा मैं हूँ केवल उस प्रीति प्रतीक्षा में प्रतिक्षण
चाहता करूँ अन्ततः स्वयं को ही उसके कर में अर्पण ।
है इसी लिये इतना विलम्ब हूँ भूल-चूक का अपराधी
सबने अपने दृढ़ नियमों में ही मुझे बाँधने की साधी
मैं बचता रहा सदा उनसे स्वीकार न किया कभी बन्धन
चाहता करूँ अन्ततः स्वयं को ही उसके कर में अर्पण ।
लोगों ने मुझे असावधान कह किया सदा दोषारोपण
इसमें कोई संदेह नहीं लोगों का है सत्य ही कथन
पर मेरा तो है बना हुआ उस प्रेम-प्रतीक्षा का ही क्षण
चाहता करूँ अन्ततः स्वयं को ही उसके कर में अर्पण ।
उठ गयी पैठ अवरुद्ध हो गया व्यस्त दिवस का सब खेला
लौटे सरोष दुख व्यर्थ जिन्होंने मुझे बुलाने का झेला
मेरी तो मात्र प्रतीक्षा है मिल जाय प्रेम ’पंकिल’वह कण
चाहता करूँ अन्ततः स्वयं को ही उसके कर में अर्पण । (’पंकिल’-मेरे बाबूजी)