एक पेंड़ है जगमगाता हुआ
उसकी शाखो में चिराग फूलते हैं,
मदहोश कर देने वाली गंध-सी रोशनी
फैलती है चारों ओर,
आइने-से हैं उसके तने
जिनमें सच्चापन निरखता है हर शख़्स
और अशआर की तरह हैं उसकी पत्तियाँ
काँपती हुई ।
मुझे देखो,
मेरे दिल की इबारत, इशारत, अदा देखो !
उस जगमगाते पेंड़ का बीज
इस दिल में ही पैवस्त है ।
Leave a Comment