एक दीया गीतों पर रख दो …
एक दिया गीतों पर रख दो, एक दिया जँह सुधियाँ सोयीं एक दिया उस पथ पर रख दो जिस पर…
एक दिया गीतों पर रख दो, एक दिया जँह सुधियाँ सोयीं एक दिया उस पथ पर रख दो जिस पर…
कविता ने शुरुआत से ही खूब आकृष्ट किया । उत्सुक हृदय कविता का बहुत कुछ जानना समझना चाहता था ।…
तुम्हें याद है… तुमने मुझे एक घड़ी दी थी- कुहुकने वाली घड़ी। मेरे हाँथों में देकर मुस्कुराकर कहा था, “इससे…
के० शिवराम कारंत Kota Shivaram Karanth – भारतीय भाषा साहित्य का एक उल्लेखनीय नाम, कन्नड़ साहित्य की समर्थ साहित्यिक विभूति,…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण…
उन दिनों जब दीवालों के आर-पार देख सकता था मैं अपनी सपनीली आँखों से, जब पौधों की काँपती अँगुलियाँ मेरी…