माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

By Himanshu Pandey

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना…

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 66-70)

By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद कराग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतयागिरीशेनोदस्तं मुहुरधरपानाकुलतया करग्राह्यं शंभोर्मुखमुकुरवृन्तं गिरिसुते कथंकारं ब्रूमस्तव चुबुकमौपम्यरहितम्॥66॥ पाणि सेवात्सल्यवशजिसको दुलारा हिमशिखर नेअधरपानाकुलितजिसकोकिया स्पर्शित…

Exit mobile version