कथा प्रसंग: जब शंकर के हृदय से सौन्दर्य लहरी फूट पड़ी
आचार्य शंकर की दिग्विजय का एक मर्मस्पर्शी कथा प्रसंग दृश्य प्रथम प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण चाहते हो संन्यासी?” तांत्रिक अभिनव…
सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य-लहरी में। इस ब्लॉग पर इस अनुपम काव्य का हिन्दी भावानुवाद क्रमशः प्रकाशित है।
आचार्य शंकर की दिग्विजय का एक मर्मस्पर्शी कथा प्रसंग दृश्य प्रथम प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण चाहते हो संन्यासी?” तांत्रिक अभिनव…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद स्मरं योनिं लक्ष्मीं त्रितयमिदमादौ तव मनो र्निधायैके नित्ये निरवधि महाभोग रसिकाः । भजंति त्वां चिंतामणि…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद सुधामप्यास्वाद्य प्रतिभय जरा मृत्यु हरिणीं विपद्यंते विश्वे विधि शतमखाद्या दिविषदः। करालं यत् क्ष्वेलं कबलितवतः कालकलना…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी रूपांतर जगत्सूते धाता हरिरवति रुद्रः क्षपयतेतिरस्कुर्वन् एतत् स्वयमपि वपुरीशस्तिरयति ।सदा पूर्वः सर्वं तदिदमनुगृह्णाति च शिवस्तवाज्ञामालंब्य क्षणचलितयोः…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर मुखं बिंदुं कृत्वा कुचयुगमधस्तस्य तदधोहरार्ध ध्यायेद्यो हरमहिषि ते मन्मथकलाम् ।स सद्यः संक्षोभं नयति वनिता…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर कवीन्द्राणां चेतःकमलवनबालातपरुचिंभजन्ते ये सन्तः कतिचिदरुणामेव भवतीम् ।विरिंचिप्रेयस्यास्तरुणतरश्रृंगारलहरी-गभीराभिर्वाग्भिर्विदधति सतां रंजनममी ॥16॥ कमल कानन सदृशकविवर चित्त…