सौन्दर्य-लहरी

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सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य-लहरी में। इस ब्लॉग पर इस अनुपम काव्य का हिन्दी भावानुवाद क्रमशः प्रकाशित है।

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सौन्दर्य-लहरी

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 12-15)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर त्वदीयं सौंदर्यं तुहिनगिरि कन्ये तुलयितुं ।कवींद्राः कल्पंते कथमपि विरिंचि प्रभृतयः ॥यदालोकौत्सुक्यादमरललना यांति मनसा ।तपोभिर्दुष्प्रापामपि…

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 7-11)

By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर क्वणत्कांची दामा करिकलभकुम्भस्तननता ।परिक्षीणा मध्ये परिणतशरच्चन्द्रवदना ॥धनुर्वाणान्पाशं सृणिमाप दधाना करतलैः ।पुरस्तादास्तां नः पुरमथितुराहोपुरुषिका ॥७॥…

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 4-6)

By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर त्वदन्यः पाणिभ्यामभयवरदो दैवतगणःत्वमेका नैवासि प्रकटित वराभीत्यभिनया,भयात् त्रातुं दातुं फलमपि च वांछासमधिकंशरण्ये लोकानां तव हि…

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