शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (दो)
माँ के काली स्वरूप की अभ्यर्थना के चार कवित्त पुनः प्रस्तुत हैं। इस भोजपुरी स्तुति काव्य में शुरुआत के आठ…
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (एक)
जीवन में ऐसे क्षण अपनी आवृत्ति करने में नहीं चूकते जब जीवन का केन्द्रापसारी बल केन्द्राभिगामी होने लगता है। मेरे…
अर्चना जी ने गाया : सखिया आवा उड़ि चलीं…
इसी ब्लॉग पर मेरी इस प्रविष्टि में मैंने और चारुहासिनी ने एक गीत ’सखिया आवा उडि़ चलीं ओही बनवा हो…
हाय दइया करीं का उपाय…
चारु और मैं इधर संवाद-स्वाद, फिर अवसाद के कुछ क्षणों से गुजरते हुए चारुहासिनी की मनुहार से बाबूजी के लिखे…
मैथिली शरण गुप्त के जन्मदिवस (3 अगस्त) पर
हिन्दी साहित्य के उज्ज्वल नक्षत्र राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्मदिवस है कल। प्रस्तुत है उनका प्रसिद्ध और विख्यात गीत,…
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