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मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं

मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं जो बने तो निपट आलसी पर रचे तो जीवन-स्फूर्ति का अनोखा …

लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ (समापन किस्त)

By Himanshu Pandey

एक आलसी का चिट्ठा । गिरिजेश राव का चिट्ठा। स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी…

लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ

By Himanshu Pandey

एक आलसी का चिट्ठा। गिरिजेश भईया का चिट्ठा, स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को…

हिन्दी दिवस पर ’क्वचिदन्यतोऽपि”

By Himanshu Pandey

हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित क्वचिदन्यतोऽपि पर की गयी टिप्पणी प्रसंगात यहाँ प्रस्तुत कर दे रहा हूँ –  “देर से…

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