Virtue by George Herbert – जॉर्ज हरबर्ट की कविता Virtue का हिन्दी काव्यानुवाद
जॉर्ज हर्बर्ट George Herbert की कविता Virtue उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। यह कविता उनकी काव्य संग्रह…
कविता श्रेणी के अन्तर्गत छंदबद्ध एवं छंदमुक्त कविताएँ संकलित की गई हैं। साथ ही ग़ज़लें, गीत, हाइकु, दोहे इत्यादि भी इसी श्रेणी में उपश्रेणियाँ बनाकर प्रकाशित की गई हैं। छंदबद्ध कविताओं के अन्तर्गत सुभाषित, भजन, क्रियात्मक गीत एवं संवाद गीत संकलित हैं तथा छंदमुक्त कविताओं के अन्तर्गत मुक्त छंद की कविताएँ, हाइकु एवं लघु कविताएँ संकलित हैं। यह कविताएँ स्वरचित भी हैं तथा अन्य कवियों की भी प्रिय रचनायें किसी विशेष प्रयोजनवश सुविधानुसार प्रकाशित की गई हैं।
जॉर्ज हर्बर्ट George Herbert की कविता Virtue उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। यह कविता उनकी काव्य संग्रह…
मेरी दीवार में एक छिद्र है उस छिद्र में संज्ञा है, क्रिया है, विशेषण है। जब भी लगाता हूँ अपनी…
छंदों से मुक्त हुए बहुत दिन हुए कविता ! क्या तुम्हारी साँस घुट सी नहीं गई ? मैंने देखा है…
राजकीय कन्या महाविद्यालय के ठीक सामने संघर्ष अपनी चरमावस्था में है, विद्रूप शब्दों से विभूषित जिह्वा सत्वर श्रम को तत्पर…
पिस-पिस कर भर्ता हुए समय के कोल्हू में तुम समायातीत बनो तो मर्द बखानूँ मैं। जाने कितने घर-घर के तुम…
तुम्हें नहीं पता कितनी देर से तुम्हारी राह देख रहा हूँ । तुमने कहा था आने के लिए अंतरतम में…