कभी तुमने अपनी गली में न झाँका
दूसरों की गली का लगाते हो फेराकभी तुमने अपनी गली में न झाँकातितलियों के पीछे बने बहरवाँसूकभी होश आया नहीं…
दूसरों की गली का लगाते हो फेराकभी तुमने अपनी गली में न झाँकातितलियों के पीछे बने बहरवाँसूकभी होश आया नहीं…
मेरी प्रविष्टि ’बस आँख भर निहारो…
जैनू ! तुम्हें देखकर ’निराला का भिक्षुक’ कभी याद नहीं आता। पेट और पीठ दोनों साफ-साफ दीखते हैं तुम्हारे और…
अपने ऊबड़-खाबड़ दर्द की जमीन न जाने कितनी बार मैंने बनानी चाही एक चिकनी समतल सतह की भाँतिपर कभी सामर्थ्य…
कल आम खाते हुए मेरी भतीजी ने मुझसे पूछा – “फलों का राजा तो आम है । फलों की रानी…
राह यह भी है तुम्हारी राह वह भी है तुम्हारी कौन सी मेरी गली है यह न मैं चुन पा…