सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 56-60)
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर दृशा द्राघीयस्या दरदलितनीलोत्पलरुचादवीयांसं दीनं स्नपय कृपया मामपि शिवेअनेनायं धन्यो भवति न च ते हानिरियतावने…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर दृशा द्राघीयस्या दरदलितनीलोत्पलरुचादवीयांसं दीनं स्नपय कृपया मामपि शिवेअनेनायं धन्यो भवति न च ते हानिरियतावने…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद गते कर्णाभ्यर्णं गरुत एव पक्ष्माणि दधतीपुरां भेत्तुश्चित्तप्रशमरसविद्रावणफले इमे नेत्रे गोत्राधरपतिकुलोत्तंस कलिकेतवाकर्णाकृष्ट स्मरशरविलासं कलयतः ॥५१॥जो कर्णान्तदीर्घ…
होली में कुछ मेरी भी सुन। मन, मत अपने में ही जल भुन ।। जब शोभित नर्तित त्वरित सरित पर…
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद भ्रुवौ भुग्ने किं चिद्भुवनभयभंगव्यसनिनित्वदीये नेत्राभ्यां मधुकररुचिभ्यां धृतगुणम् ॥धनुर्मन्ये सव्येतरकरगृहीतं रतिपतेःप्रकोष्ठे मुष्टौ च स्थगयति निगूढान्तरमुमे ॥४६॥कुटिल…
दमयंती स्वयंवर : पंचम दृश्य (दमयंती स्वयंवर का महोत्सव। नृत्य गीतादि चल रहे हैं। राजा महाराजा पधार रहे हैं। सब…
मुझे वहीं ले चलो मदिर मन जहाँ दिवानों की मस्त टोली होली, होली, होली। कभी भंग मे, कभी रंग में,…