14 Comments बचपन, यौवन, वृद्धपन (कविता) By Himanshu Pandey September 13, 2009 बचपन! तुम औत्सुक्य की अविराम यात्रा हो, पहचानते हो, ढूढ़ते हो रंग-बिरंगापन क्योंकि सब कुछ नया लगता…