Source: http://antoniogfernandez.com

मेरा प्रेम
कुछ बोलना चाहता है ।
कुछ शब्द भी उठे थे, जिनसे
अपने प्रेम की सारी बातें
तुमसे कह देने को
मन व्याकुल था ,
पर जबान लड़खडा गयी।
अन्दर से आवाज आयी
“कोई बाँध सका है
कि तुम चले हो बांधने
प्रेम को, शब्दों में।
ठहर गया मैं।

प्रश्न था, प्रेम बोलना चाहता है,
अभिव्यक्त होना चाहता है,
पर प्रेम के पास तो कोई भाषा ही नहीं-
मौन है प्रेम।
तो ऐसी दुविधा में उलझकर
पोर-पोर रो उठे,
आंखों से आंसू झरें
तो आश्चर्य क्या?
आंसू झर पड़ते हैं, जब
गहरी हो जाती है कोई अनुभूति-
प्रेम की अनुभूति- शब्दातीत।

राह मिल गयी……
जो शब्द नहीं कह पाते
वह आँसू कह जाते हैं।

Categorized in:

Love Poems, Poetry, Ramyantar,

Last Update: June 19, 2021

Tagged in:

,