आशीष जी की पोस्ट पढ़कर टिप्पणी नियंत्रण का हरबा-हथियार (मॉडरेशन) हमने भी लगाया ही था कि पहली टिप्पणी अज्ञात साहब की ही आ गयी । रोचक है, और उपयोगी भी । कितना सच्चा अर्थ पकड़ा है उन्होंने मेरी कविता का ? आप भी देखें –
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