I came out alone on my way to my tryst.
But who is this that follows me in the silent
dark ?
I move aside to avoid his presence but
I escape him not.
He makes the dust rise from the earth with his
swagger; he adds his loud voice to every word
that I utter.
He is my own little self, my lord, He knows
no shame; but I am ashamed to come
to thy door in his company.    – (R.N. Tagore : Geetanjali)

मैं चल पड़ा अकेले मिलकर करने गुप्त इशारा
वह है कौन तम में करता अनुसरण हमारा ।

सजग उपस्थिति से उसके बच हटता तनिक किनारे
किन्तु नहीं उससे बच पाते हैं ये प्राण हमारे
उठती रेणु धरणि से जब वह गर्वित चरण पधारा –
वह है कौन तम में करता अनुसरण हमारा ।

धूल उड़ाते आ जाता है वह गर्वित गति जेता
प्रति उच्चरित शब्द में मेरे निज गुरु स्वर भर देता
वह मेरा स्वामी वह मेरी लघु निजता का पारा –
वह है कौन तम में करता अनुसरण हमारा ।

मेरा अहं हमारा प्रभु ही बन कर साथ रहा है
वह पंकिल संकोच रहित है उसमें लाज कहाँ है
मैं लज्जित हूँ साथ उसे ले आने में गुरुद्वारा –
वह है कौन तम में करता अनुसरण हमारा ।   -(पंकिल – मेर बाबूजी)