25 Comments जिन्दगी ज़हीन हो गयी.. By Himanshu Pandey November 5, 2009 जिन्दगी ज़हीन हो गयी मृत्यु अर्थहीन हो गयी । रूप बिंध गया अरूप-सा सृष्टि दृश्यहीन हो गयी । भाव का…