जागो मेरे संकल्प मुझमें ….

By Himanshu Pandey

जागो मेरे संकल्प मुझमें कि भोग की कँटीली झाड़ियों में उलझे, भरपेट खाकर भी प्रतिपल भूख से तड़पते स्वर्ण-पिंजर युक्त…

कैसे ठहरेगा प्रेम जन्म-मृत्यु को लाँघ …

By Himanshu Pandey

तुम आते थे मेरे हृदय की तलहटी में मेरे संवेदना के रहस्य-लोक में मैं निरखता था- मेरे हृदय की श्यामल…

सीताकान्त महापात्र : समय और शब्द के कवि

By Himanshu Pandey

यथार्थ और अनुभूति के विरल सम्मिश्रण से निर्मित कविता के कवि डॉ० सीताकांत महापात्र का जन्मदिवस है आज। हिन्दी जगत…

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