यह कैसे हुआ मीत….
‘मोहरे वही, बिसात भी वही और खिलाड़ी भी…/ यह कैसे हुआ मीत /….’ बहुत पहले सुना था इस गीत को…
अनुभूति..
आज देखा तुम्हें अन्तर के मधुरिल द्वीप पर ! निज रूपाकाश में मधुरिम प्रभात को पुष्पायित करती, हरसिंगार के कुहसिल…
कौन-सी वह पीर है ?
विकल हूँ, पहचान लूँ मैं कौन-सी वह पीर है ! अभीं आया नहीं होता वसन्त तभीं उजाड़ क्यों हो जाती…
सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 7-11)
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर क्वणत्कांची दामा करिकलभकुम्भस्तननता ।परिक्षीणा मध्ये परिणतशरच्चन्द्रवदना ॥धनुर्वाणान्पाशं सृणिमाप दधाना करतलैः ।पुरस्तादास्तां नः पुरमथितुराहोपुरुषिका ॥७॥…
शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (दो)
माँ के काली स्वरूप की अभ्यर्थना के चार कवित्त पुनः प्रस्तुत हैं। इस भोजपुरी स्तुति काव्य में शुरुआत के आठ…