मैं समर्पित साधना की राह लूँगा…

By Himanshu Pandey

मुझसे मेरे अन्तःकरण का स्वत्वगिरवी न रखा जा सकेगाभले ही मेरे स्वप्न,मेरी आकांक्षायेंसौंप दी जाँय किसी बधिक के हाँथों कम…

हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं में मानवीय संवेदना

By Himanshu Pandey

ऋग्वेद में वर्णन आया है : ‘शिक्षा पथस्य गातुवित’, मार्ग जानने वाले , मार्ग ढूढ़ने वाले और मार्ग दिखाने वाले,…

सुरूपिणी की मुख मदिरा से सिंचकर खिलखिला उठा बकुल: वृक्ष दोहद-7

By Himanshu Pandey

कवि समय की प्रसिद्धियों में अशोक वृक्ष के साथ सर्वाधिक उल्लिखित प्रसिद्धि है बकुल वृक्ष का कामिनियों के मुखवासित मद्य…

पर्यावरण के प्रति प्रेम का अनूठा प्रतीक-बंधन

By Himanshu Pandey

राखी बीत गयी। बहुत कुछ देखा, सुना, अनुभूत किया- पर एक दृश्य अनावलोकित रह गया, एक अनुभव फिसल गया। मेरे…

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