अकेलापन
अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं।…
अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं।…
जैनू ! तुम्हें देखकर ’निराला का भिक्षुक’ कभी याद नहीं आता। पेट और पीठ दोनों साफ-साफ दीखते हैं तुम्हारे और…
अपने ऊबड़-खाबड़ दर्द की जमीन न जाने कितनी बार मैंने बनानी चाही एक चिकनी समतल सतह की भाँतिपर कभी सामर्थ्य…
बचपन से देवेन्द्र कुमार के इस गीत को गाता-गुनगुनाता आ रहा हूँ, तब से जब ऐसे ही कुछ गीत-कवितायें गाकर…
कल आम खाते हुए मेरी भतीजी ने मुझसे पूछा – “फलों का राजा तो आम है । फलों की रानी…
Quote by Lu Xun यदि आप एक ही विषय पर काम करते रहें तो अवश्य ही उसके चरम तक जा…