मैं डूबा नयन के नीर में..
आज की सुबह नए वर्ष के आने के ठीक पहले की सुबह है। मैं सोच रहा हूँ कि कल बहुत…
आज की सुबह नए वर्ष के आने के ठीक पहले की सुबह है। मैं सोच रहा हूँ कि कल बहुत…
मैं लिख नहीं पा रहा हूँ कुछ दिनों से। ऐसा लगता है, एक विचित्रता भर गयी है मुझमें। मैं सोच…
“न समझने की ये बातें हैं, न समझाने की जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की। “ पढ़ कर कई…
मैं लिखने बैठता हूँ, यही सोचकर की मैं एक परम्परा का वाहक होकर लिख रहा हूँ। वह परम्परा कृत्रिमता से…
अपने बारे में कहने के लिए चलूँ तो यह पीपे का पुल मेरे जेहन में उतर आता है। गंगा बनारस…